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जिया तो पूरा जिया

मैं जिया तो पूरा जिया हूँ, अब मर भी गया तो कोई गिला नहीं कुछ ख़याल में जिया, कुछ बे ख़याली में जिया कभी मासूमियत से मिला, कभी धूर्त के साथ हो लिया कुछ खुद से जिया, तो कुछ दुसरे के दम पे भी जिया, कभी ऐयाशी से जिया, तो कभी फाकों से भी जिया प्यार और नफरत एक हाथ से दूजे हाथ देके जिया कभी पीने के लिए जिए तो कभी जी भर कर पिया कभी खुद्दर रहे तो कभी खुदगर्ज़ी का भी पाला लिया पर मैं जैसे भी जिया, पूरा जिया ||
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|| मेरे भीतर ||

|| मेरे भीतर || क्यों चैन नहीं है मन में हमेशा चिंता क्यों बस्ती है क्या ही था मेरे पास, अब क्या खो जाने का डर है, क्यों मेरी लोगों से अपेक्षा खत्म नहीं होती अभी भी सब ठीक हो जाने का सपना किस दम पे देखता हूँ क्या जिद्द है कि इस मामले में ढीट हो गया हूँ || क्यों मैं सिर्फ तंज सुनता और सहता हूँ मैं क्यों किसी पे तंज नहीं कस्ता, क्यों बदतमीजी नहीं कर पाता क्या रोक देता है मुझे मेरी परवरिश या कायरता, क्या कभी जवाब दे पाऊंगा क्या मन कि भड़ास को कभी निकाल पाऊंगा?? क्या हुआ उन उम्मीदों और सपनों का जो कभी देखे थे और टूट गए, उनके साथ शायद अंदर से भी कुछ हल्का सा मैं भी टूटा था, और अब क्या होगा उन सपनों का जो अब भी कहीं अंदर दबे पड़े हैं मेरे , क्या हकीकत में जी पाऊंगा वो पल जो हो सकते हैं अभी भी मेरे?? जिंदगी में कहाँ से कहाँ आ गए, कुछ नये रिश्ते पाए, पर पुराने रिश्ते कहीं खो गए, नये-पुराने को कैसे साथ लाऊँ, कैसे मैं सबको समझाऊं, कि मैं अंदर ही अंदर घुट  रहा हूँ मैं फिर सबको एक साथ लाने के लिए ही शायद जी रहा हूँ, कब कैसे कहाँ हमेशा यही दिमाग़ के एक कोने में सवाल रहता...
***जीना ही रह गया *** एक ख्वाब था, जो टूट गया, एक इच्छा थी, जिसे मार दिया, एक लक्ष्य बनाया था अपने लिए, वो आज भी दूर ही है मुझसे, एक काम जरूरी था कभी, वो आज भी करना रह गया, मैं आधी जिंदगी यूं ही जी गया, और देखा की जीना ही रह गया || बारिश हुई थी जोरदार सी, पर मैं भीगे बिना रह गया, लहरों के पास तो गया था, पर सागर से मिलना रह गया, गया तो था मैं पहाड़ पे, पर ऊंचाई से दुनिया देखना रह गया, नदियों पे नाव से घूमा हूँ बहुत, पर उसका उफान देखना रह गया, मैं आधी जिंदगी यूं ही जी गया, और देखा की जीना ही रह गया || आया हूँ जब से दुनिया में, कई नए लोगों से मिला हूँ, कई से मिलना रह गया, कुछ अपने छोड़ के चले गए, कुछ अपनों को मानना रह गया, कुछ दोस्त थे पुराने, उनसे एक बार और मिलना रह गया, मैं आधी जिंदगी यूं ही जी गया, और देखा की जीना ही रह गया || बची है कुछ आधी और कुछ और सी जिंदगी, सोचा है हर खवाब पूरा कर लूँ , ताकि फिर ना लिखना पड़े की कुछ करना रह गया, क्योंकि मैं आधी जिंदगी यूं ही जी गया, और देखा की जीना ही रह गया || - अक्षत भारतीय 

For u My Dear...!!!

A partner one needs to go along, On this journey that is life long, And as I assumed the path is for me alone, U came along as a damsel with all your dainty shone. The process has begun to know each other, Big & small things that are part of our ether, Mingling with each other making a interesting mix, Knowing each other’s various moods and tricks, Every day I experience u & oh dear U r clever, And I find myself needing u more than ever. -AB...:-)

Happy New Year 2017

Wishing a great new year to all . May this year be filled with awesome moments of success happiness and Peacefulness. May all come together for peace. And may I be able to get that person in my life who is gonna stay with mebthrough all the ups and downs of my life. Happy New Year 2017. - AB

14/12/2016: Mind ke mindless thoughts

Today on 14/12/2016 I have again got up early as early as 04:00 a.m., and again it's for travel for official reasons. But this time it is different as after long time I am taking up a long train journey 1000km plus. This is courtsey my boss who has not provided approval for flight travel this time as I & he had some arguments, so this is his way of taking revenge. I don't for how long with such attitude and environment I may be able to work with him, though I don't want to leave the organisation so early as I am also looking for stability in my life and overall the company is fine to work with. But things are getting difficult with such decision for not granting approval for air travel and to travel by train for long journeys which will take approx. one full day to reach my destination I am feeling demotivated, discouraged and kind of demoted also. Non stability in professional life  and other job related things have started taking toll on my own social and family l...

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