मैं जिया तो पूरा जिया हूँ, अब मर भी गया तो कोई गिला नहीं
कुछ ख़याल में जिया, कुछ बे ख़याली में जिया
कभी मासूमियत से मिला, कभी धूर्त के साथ हो लिया
कुछ खुद से जिया, तो कुछ दुसरे के दम पे भी जिया,
कभी ऐयाशी से जिया, तो कभी फाकों से भी जिया
प्यार और नफरत एक हाथ से दूजे हाथ देके जिया
कभी पीने के लिए जिए तो कभी जी भर कर पिया
कभी खुद्दर रहे तो कभी खुदगर्ज़ी का भी पाला लिया
पर मैं जैसे भी जिया, पूरा जिया ||
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